भारतीय शहरों में जलवायु संधारणीयता का विकास
भारतीय शहरों में जलवायु संधारणीयता विकसित करना एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसमें शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के संतुलन को ध्यान में रखना आवश्यक है।
- तेजी से बढ़ते भारतीय शहरों को जलवायु संवहनीयता की दिशा में अग्रसर करने के लिए नीतिगत सुधार, नवाचार, और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है।
प्रमुख चुनौतियां
- वायु प्रदूषण: भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। वाहनों, उद्योगों, निर्माण कार्यों और घरेलू ईंधन जलाने से उत्पन्न धुआं और रसायन वायु गुणवत्ता को खराब करते हैं। वायु प्रदूषण से श्वसन ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 रिवर इंटरलिंकिंग: मुद्दे एवं लाभ
- 2 जल सुरक्षा की आवश्यकता
- 3 प्राकृतिक संसाधान प्रबंधान
- 4 जीरो बजट नेचुरल फ़ार्मिंग
- 5 भारत में कृषि विपणन प्रणाली: चुनातियाँ वं उपाय
- 6 कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी
- 7 भारत में कृषि सब्सिडी: महत्व एवं मुद्दे
- 8 भारत में परिशुद्धता कृषि: चुनौतियां एवं उपाय
- 9 कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एवं समाधान
- 10 क्रिप्टोकरेंसी नियामक ढांचा