महासागरीय संसाधन तथा इसके समक्ष विद्यमान संकट
पृथ्वी के लगभग 71% भाग पर जल उपलब्ध है जिसकी अधिकांश मात्रा महासागरों में पाई जाती है। महासागर भूतापीय तथा ज्वारीय ऊर्जा के साथ-साथ अनेक महत्वपूर्ण जैविक एवं अजैविक संसाधनों के स्रोत भी हैं। महासागरों का महत्व इस तथ्य में भी है कि इनके द्वारा किए जाने वाले कार्बन अवशोषण के कारण जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण को नियंत्रण करने में मदद मिलती है।
- समुद्रों का विस्तार विभिन्न देशों की सीमाओं तक है। इनमें पाए जाने वाले संसाधनों के उपयोग एवं दोहन को सुविधाजनक बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1982 में समुद्री क्षेत्रों को मुख्य रूप से तीन भागों में ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 चक्रवातों की बढ़ती आवृति एवं तटीय क्षेत्र
- 2 भारतीय मानसून के व्यवहार में परिवर्तन: प्रभाव एवं समाधान
- 3 भूमि निम्नीकरण: समस्या, प्रभाव एवं समाधान की रणनीति
- 4 देश में जल संकट: कारण एवं प्रभाव
- 5 संधारणीय पर्यटन : महत्व एवं चुनौतियां
- 6 भारत में आर्द्रभूमियों के पर्यावरणीय महत्व की चर्चा करते हुए इनके समक्ष विद्यमान संकटों को सूचीबद्ध कीजिए?
- 7 मेघ प्रस्फुटन (Cloudburst): उत्पत्ति तथा प्रभाव
- 8 भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण : समस्या एवं समाधान
- 9 समुद्री हीट वेव तथा इसके बहुआयामी प्रभाव
- 10 अर्बन हीट आइलैंड : कारण, प्रभाव और समाधान
मुख्य विशेष
- 1 अर्बन हीट आइलैंड : कारण, प्रभाव और समाधान
- 2 समुद्री हीट वेव तथा इसके बहुआयामी प्रभाव
- 3 भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण : समस्या एवं समाधान
- 4 मेघ प्रस्फुटन (Cloudburst): उत्पत्ति तथा प्रभाव
- 5 भारत में आर्द्रभूमियों के पर्यावरणीय महत्व की चर्चा करते हुए इनके समक्ष विद्यमान संकटों को सूचीबद्ध कीजिए?
- 6 संधारणीय पर्यटन : महत्व एवं चुनौतियां