भारत में गरीबी मापन ढांचे में संशोधन की आवश्यकता
हाल ही में, सुरजीत एस भल्ला और करण भसीन नामक अर्थशास्त्रियों द्वारा द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र में यह पाया गया है कि पिछले दशक में भारत की गरीबी में व्यापक कमी आई है।
- अध्ययन में सिफारिश की गई है कि भारत में गरीबी मापन के लिए मौजूदा ढांचे को अद्यतन करने की आवश्यकता है, जिससे बढ़ते जीवन स्तर और उपभोग पैटर्न को प्रभावी ढंग से प्रतिबिंबित किया जा सके।
मुख्य बिंदु
- इस शोध-पत्र में सरकार द्वारा प्रकाशित किये गए 2022-23 और 2023-24 के घरेलू खर्च संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण के आधार पर दावा किया गया ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 महिला सशक्तीकरण में एआई की भूमिका
- 2 भारत में बाल मृत्यु दर में कमी: एक अनुकरणीय उपलब्धि
- 3 स्वावलंबिनी-महिला उद्यमिता कार्यक्रम
- 4 भारत में पारिवारिक मूल्यों का क्षरण एक गंभीर चिंता: सर्वोच्च न्यायालय
- 5 छात्र आत्महत्याओं पर रोक के लिए टास्क फोर्स का गठन
- 6 श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा कवरेज हेतु समितियों का गठन
- 7 विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु यूनेस्को का अभियान
- 8 भारत और आईएलओ महानिदेशक के बीच द्विपक्षीय बैठक
- 9 वृद्धावस्था स्वास्थ्य सेवा और नशामुक्ति हेतु साझेदारी
- 10 अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों का औपचारिकीकरण और सामाजिक सुरक्षा