भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता : वैश्विक अनिश्चितताओं के दौर में राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु आवश्यक
हाल ही में, भारत ने मिशन ‘दिव्यास्त्र’ के तहत ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल’ (MIRV) टेक्नोलॉजी के साथ देश में विकसित ‘अग्नि-5’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इसे भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के विकास में एक महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है।
- नाभिकीयप्रतिरोध (Nuclear Deterrence) परमाणु हथियार रखने वाले देशों द्वारा विरोधियों को परमाणु हमला शुरू करने से रोकने के लिए अपनाई जाने वाली एक रणनीति है, ताकि दुश्मन देश को यह विश्वास दिलाया जा सके कि इस तरह के हमले की लागत और परिणाम किसी भी संभावित लाभ से अधिक होंगे।
- विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना भारत की ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 अंतरराष्ट्रीय मंचों से अमेरिका का अलग होना: प्रभाव और निहितार्थ
- 2 कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारत में न्याय वितरण में किस प्रकार क्रांति ला सकती है?
- 3 भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद: कारण प्रभाव एवं संभावित समाधान
- 4 भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता हेतु नवाचार एवं लागत-प्रभावशीलता आवश्यक
- 5 ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में गिरावट जलवायु अनुकूलता की दिशा में भारत की प्रगति
- 6 क्रिटिकल मिनरल्स भारत के आर्थिक विकास और सुरक्षा का आधार
- 7 भारत का डिजिटल हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर लोचशील वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पारितंत्र के निर्माण में भारत की क्षमता
- 8 भारत-इंडोनेशिया संबंध द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्धता
- 9 प्रवासी भारतीय विकसित भारत के निर्माण में योगदान
- 10 क्वांटम प्रौद्योगिकी भारत की प्रगति, लाभ एवं चुनौतियां