जैव-परिवर्तन प्रौद्योगिकी

हाल ही में, यूनाइटेड किंगडम स्थित एक स्टार्टअप ने 'जैव-परिवर्तन प्रौद्योगिकी' (Biotransformation Technology) विकसित करने का दावा किया है, जो प्लास्टिक की अवस्था को बदलकर उसका जैव निम्नीकरण करने में सक्षम है।

तकनीकी आवश्यकता क्यों?

  • भारत वार्षिक रूप से 3.5 अरब किलोग्राम प्लास्टिक अपशिष्ट पैदा कर रहा है और पिछले पाँच वर्षों में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक अपशिष्ट का उत्पादन भी दोगुना हो गया है। इसमें से एक-तिहाई प्लास्टिक पैकेजिंग उद्योग से आता है।
  • जर्मनी की स्टेटिस्टा कंपनी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा उत्पन्न प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे की वैश्विक मात्रा एक अरब किलोग्राम से अधिक थी।
  • हमारे आस-पास ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री