धर्मांतरण तथा सामाजिक परिवर्तन
15 जनवरी, 2025 को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे संवैधानिक सार और भावना के विपरीत बताया।
- उनके अनुसार 'इससे अधिक गंभीर कुछ नहीं हो सकता कि ये दुस्साहस जैविक जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ने के लिए एक तैयार रणनीति से उत्पन्न होते हैं।'
भारत में धर्मांतरण विरोधी कानून की वर्तमान स्थिति
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार, नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने, मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
- धार्मिक समूहों को भी अपने धार्मिक मामलों ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 महिला सशक्तीकरण में एआई की भूमिका
- 2 भारत में गरीबी मापन ढांचे में संशोधन की आवश्यकता
- 3 भारत में बाल मृत्यु दर में कमी: एक अनुकरणीय उपलब्धि
- 4 स्वावलंबिनी-महिला उद्यमिता कार्यक्रम
- 5 भारत में पारिवारिक मूल्यों का क्षरण एक गंभीर चिंता: सर्वोच्च न्यायालय
- 6 छात्र आत्महत्याओं पर रोक के लिए टास्क फोर्स का गठन
- 7 श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा कवरेज हेतु समितियों का गठन
- 8 विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु यूनेस्को का अभियान
- 9 भारत और आईएलओ महानिदेशक के बीच द्विपक्षीय बैठक
- 10 वृद्धावस्था स्वास्थ्य सेवा और नशामुक्ति हेतु साझेदारी