निवारक निरोध, एक औपनिवेशिक विरासत : सुप्रीम कोर्ट
10 अप्रैल, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने एक निवारक निरोध आदेश को रद्द करते हुए कहा कि भारत में निवारक निरोध कानून (preventive detention laws) एक औपनिवेशिक विरासत है, जो राज्य को मनमानी शक्ति प्रदान करता है।
- वाद (Case): प्रमोद सिंगला बनाम भारत संघ व अन्य (Pramod Singla vs Union of India & Ors)।
निर्णय के मुख्य बिंदु
- न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी तथा न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन की खंडपीठ ने निवारक निरोध कानूनों को "बेहद शक्तिशाली" बताते हुए चेतावनी दी कि ऐसे क़ानून राज्य को निरंकुश विवेक प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।
- न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य को मनमाना ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 गैर-गतिज युद्ध से निपटने के लिए भारत की तैयारियों की जांच
- 2 भारतीय कानून के तहत मरणोपरांत प्रजनन पर कोई प्रतिबंध नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
- 3 बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करने से वंचित नहीं: सुप्रीम कोर्ट
- 4 दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय कोष (NFRD) स्थापित करने का निर्देश
- 5 ग्रामीण क्षेत्रों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के साथ भेदभाव
- 6 कैदियों की निःशुल्क एवं समयबद्ध कानूनी सहायता : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
- 7 कैदियों को जाति के आधार पर काम देना भेदभावपूर्ण: सुप्रीम कोर्ट
- 8 नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता बरकरार
- 9 ग्राम न्यायालयों की स्थापना की व्यवहार्यता पर चिंता: सुप्रीम कोर्ट
- 10 कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति के लिए 8 राज्यों को अवमानना नोटिस