बाल संदिग्धों के आकलन हेतु दिशा-निर्देश
हाल ही में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights- NCPCR) ने यह निर्धारित करने हेतु आकलन के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं कि आपराधिक मामलों में बच्चे को नाबालिग माना जाना चाहिये या नहीं।
- बच्चों द्वारा किये गए आपराधिक मामले 'किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015' के तहत 'जघन्य' अपराध श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
दिशा-निर्देशों के प्रमुख बिंदु
- संदिग्ध बाल अपराधियों का आकलन विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किया जाना चाहिये। इस टीम में बाल मनोवैज्ञानिक अथवा मनोचिकित्सक, एक चिकित्सक तथा सामाजिक कार्यकर्त्ता को शामिल किया जाना चाहिए।
- आकलन में बच्चे ....
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