जलवायु वित्तयन COP29 सम्मेलन में की गई प्रगति, चुनौतियां तथा भविष्य की राह डॉ. अमरजीत भार्गव
विगत कुछ वर्षों में, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत जलवायु वित्तयन (Climate Finance) के लिए अनेक तंत्र एवं कोष स्थापित किये गए हैं। इनमें वैश्विक पर्यावरण सुविधा, हरित जलवायु कोष, विशेष जलवायु परिवर्तन कोष, अल्प विकसित देशों का कोष, अनुकूलन कोष आदि शामिल हैं। परन्तु, हकीकत यह है कि विकासशील देशों को उपलब्ध कार्रवाई हेतु इन निधियों में धन की आमद बहुत कम रही है। उदाहरणार्थ, ग्रीन क्लाइमेट फंड ने 2020-23 की अवधि के दौरान 129 विकासशील देशों में 243 परियोजनाओं के लिए कुल 13.5 बिलियन डॉलर देना मंजूर किया। वहीं अनुकूलन कोष ने 2010 ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में उच्च शिक्षा सुधार रोज़गार क्षमता और अनुसंधान मानकों में वृद्धि आवश्यक -डॉ. अमरजीत भार्गव
- 2 भारत में कौशल अंतराल
- 3 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम विनियामक निगरानी भारत में डिजिटल मीडिया का विनियमन - आलोक सिंह
- 4 असंगठित क्षेत्र में अदृश्य कार्यबल के रूप में महिलाएं - आलोक सिंह
- 5 जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक दक्षिण समतापूर्ण एवं न्यायसंगत वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 6 ग्लोबल स्टार्टअप हब के रूप में भारत का उदय विकास के कारक एवं चुनौतियां - डॉ. अमरजीत कुमार
- 7 निवारक स्वास्थ्य देखभाल स्वास्थ्य एवं कल्याण सुनिश्चित करने के लिए भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकता - डॉ. अमरजीत कुमार
- 8 भारत-कुवैत रणनीतिक साझेदारी खाड़ी देशों तक भारत की पहुंच में एक महत्वपूर्ण पड़ाव - आलोक सिंह
- 9 शहरी अपशिष्ट जल प्रबंधन भारत का दृष्टिकोण, चुनौतियां तथा आगे की राह - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 10 वैश्विक शासन सुधारित बहुपक्षवाद की आवश्यकता एवं महत्वपूर्ण मुद्दे - आलोक सिंह