बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में भारत के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों तथा संभावनाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।

21वीं सदी की शुरुआत के बाद से वैश्विक स्थिति में बदलाव देखने को मिला है। मुख्य रूप से इसका कारण आर्थिक महाशक्ति के रूप में चीन का उभरना है। विश्व अब एक-ध्रुवीय अमेरिकी वर्चस्व से बहु-ध्रुवीय अमेरिकी तथा चीन प्रभावित व्यवस्था के रूप में बदल रही है। बहुध्रुवीय होती वैश्विक व्यवस्था भारत के समक्ष चुनौतियों के साथ ही भारत के लिए संभावनाओं के द्वार भी खोलती है।

भारत के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां

  • भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दशकों से अपेक्षाकृत छोटी रही है और आर्थिक मामलों में आत्मनिर्भरता नहीं रहा है। इन्हीं सब कारणों से भारत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों जैसे एपेक (APEC), आर्थिक ....

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