जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध मौलिक अधिकार

भारत में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मौलिक अधिकार मानव जीवन की रक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश पर्यावरणीय प्रभावों के प्रति संवेदनशील है और इसके लिए मजबूत कानूनी और नीतिगत ढांचे की आवश्यकता है।

महत्व

  • जीवन का अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जलवायु परिवर्तन को जीवन के अधिकार के लिए खतरे के रूप में मान्यता देने से कानूनी ढांचे और प्रवर्तन तंत्र को मजबूत किया जा सकता है।
  • अंतर-पीढ़ीगत समानता: भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा करना सतत विकास का एक मूलभूत पहलू है।
  • कमज़ोर आबादी: हाशिए पर पड़े समुदाय अक्सर जलवायु प्रभावों ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री

मुख्य विशेष