सर्कुलर इकोनॉमी की ओर भारत: चुनौतियां एवं अवसर
सर्कुलर इकोनॉमी या चक्रीय अर्थव्यवस्था, पारंपरिक रैखिक अर्थव्यवस्था का एक विकल्प है, जिसके अंतर्गत उत्पादों के जीवन चक्र में तीन चरण शामिल किये जाते हैं: उन्हें बनाना, उपयोग करना और उनका निपटान करना।
- चक्रीय अर्थव्यवस्था में, संसाधनों को यथासंभव लंबे समय तक उपयोग में रखा जाता है और उनसे अधिकतम मूल्य निकाला जाता है, तथा अंत में अपशिष्ट को प्राप्त करके उसका पुनर्चक्रण किया जाता है।
- एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में, निर्माता उत्पादों को इस प्रकार डिजाइन करते हैं ताकि ये पुनः प्रयोज्य हो सकें। ऐसी अर्थव्यवस्था में उत्पादों और कच्चे माल का भी यथासंभव उपयोग किया जाता है। इस प्रकार एक चक्रीय ....
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