भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता हेतु नवाचार एवं लागत-प्रभावशीलता आवश्यक

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने 25 फरवरी, 2025 को नई दिल्ली में प्रमुख मीडिया हाउस द्वारा आयोजित 'बिजनेस कॉन्क्लेव' को संबोधित किया। उनके अनुसार, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के अगले कुछ वर्षों में पांच गुना बढ़कर 8 बिलियन डॉलर से 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

  • इस प्रकार, भारतीय अर्थव्यवस्था में मूल्य संवर्धन के साथ-साथ अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह केवल वैज्ञानिक उपलब्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले समय में अंतरिक्ष क्षेत्र समग्र अर्थव्यवस्था, तकनीकी आत्मनिर्भरता और सामाजिक ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री