जलवायु जोखिम सूचकांक 2025
हाल ही में, पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवाच द्वारा जारी ‘जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) 2025’ में चरम मौसम की घटनाओं के वैश्विक प्रभाव और जलवायु लचीलेपन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
- दीर्घकालिक विश्लेषण (1993-2022) में भारत को छठा स्थान मिला, जबकि 2022 में इसका रैंक सुधरकर 49वां हो गया।
मुख्य बिन्दु
- जलवायु जोखिम सूचकांक का महत्व: CRI देशों को चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित होने की संवेदनशीलता के आधार पर रैंक प्रदान करता है।
- यह मौसम-जनित आपदाओं से हुई मानवीय और आर्थिक क्षति का तुलनात्मक विश्लेषण करता है और जलवायु नीतियों को दिशा देने में मदद करता है।
- भारत ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक: सिपरी
- 2 बीजिंग+30: महिला अधिकारों की प्रगति और भविष्य की दिशा
- 3 ऋण की दुनिया रिपोर्ट 2024: अंकटाड
- 4 विश्व मौसम विज्ञान संगठन की जलवायु स्थिति 2024 रिपोर्ट
- 5 यूएनडीपी की ‘ट्रांसफॉर्मिंग फॉरेस्ट फाइनेंस’ रिपोर्ट
- 6 संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2025
- 7 विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2025
- 8 भारत में धन प्रेषण की बदलती प्रवृत्तियां: आरबीआई बुलेटिन
- 9 भारत 2047 तक उच्च आय अर्थव्यवस्था बनने की राह पर: विश्व बैंक
- 10 सरकारी प्रोत्साहनों के कारण म्यूनिसिपल बॉन्ड में वृद्धि: ICRA रिपोर्ट
रिपोर्ट एवं सूचकांक
- 1 भारत में स्वर्ण निवेश में वृद्धि: WGC की रिपोर्ट
- 2 तेजी से बढ़ते भारतीय फार्मा उद्योग पर रिपोर्ट
- 3 गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के विस्तार पर नीति आयोग की रिपोर्ट
- 4 भारत में महिला श्रमबल भागीदारी पर शोध-पत्र
- 5 कृषि विकास और खाद्य सुरक्षा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका
- 6 भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) 2024