नाइट्रोजन प्रदूषण अध्ययन
- ब्रिटेन सरकार ने 24 जनवरी, 2018 को नाइट्रोजन प्रदूषण द्वारा पर्यावरण, खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिए दक्षिण एशिया और भारत में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम के लिए 20 मिलियन पाउंड फंड की घोषणा की है।
पृष्ठभूमि
- इस कार्यक्रम के लिए ‘यू-के- सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी’ (( UK's Centre for Ecology & Hydrology- UKCEH) की अगुवाई में ब्रिटेन और दक्षिण एशिया के 50 से अधिक संगठनों की एक साझेदारी में ‘यूके रिसर्च एंड इनोवेशन’ (UK Research and Innovation - UKRI) के ग्लोबल चैलेंज रिसर्च फंड (Global Challenges Research Fund -GCRF) के तहत ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 आपदा जोखिम चेतावनी प्रणाली : कवचम
- 2 मीठे पानी के एक चौथाई जानवर विलुप्त होने के खतरे में
- 3 इंडो-बर्मी पैंगोलिन
- 4 भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण प्लेटफॉर्म
- 5 मियावाकी तकनीक द्वारा प्रयागराज में घने जंगलों का विकास
- 6 भारत का प्रथम जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर
- 7 डिजिटल वृक्ष आधार पहल
- 8 भारत की अक्षय ऊर्जा क्रांति
- 9 अपर-करनाली जलविद्युत परियोजना
- 10 इंदौर और उदयपुर आर्द्रभूमि शहर प्रमाणन की सूची में शामिल
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
- 1 प्लास्टिक अपशिष्ट आयात में वृद्धि
- 2 दुनिया भर में ई-अपशिष्ट की सुनामी
- 3 जलवायु परिवर्तन सुरक्षा का मुद्दा
- 4 भारत में बढ़ते तापमान का प्रभाव
- 5 ग्रीनलैंड द्वीपों को खतरा
- 6 वैश्विक भूमि क्षरण और वन आवरण में कमी
- 7 पश्चिमी घाट में नदियों के जलग्रहण क्षमता पर प्रभाव
- 8 नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य से चूक सकता है भारत