वैज्ञानिकों ने विकसित की लवण सहनशील चावल की नई किस्म
भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने लवण-सहनशील ट्रांसजेनिक चावल की एक नई किस्म विकसित करने में सफलता प्राप्त की है। इस प्रजाति की विशेषता यह है कि इसे खारे पानी में उगाया जा सकता है। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में 29 मार्च, 2019 को प्रकाशित किया गया।
- इसके लिए वैज्ञानिकों ने पोर्टरेशिया कॉरक्टाटा (Porteresia Coarctata) नामक जंगली चावल के एक जीन को आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले आईआर 64 इंडिका (IR 64 indica) चावल की किस्म में प्रयुत्तफ़ किया।
- पोर्टरेशिया कॉरक्टाटा भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार का एक मूल पौधा है जो मुख्य रूप से ‘खारे पानी वाली एश्चुअरी’ (saline ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 आपदा जोखिम चेतावनी प्रणाली : कवचम
- 2 मीठे पानी के एक चौथाई जानवर विलुप्त होने के खतरे में
- 3 इंडो-बर्मी पैंगोलिन
- 4 भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण प्लेटफॉर्म
- 5 मियावाकी तकनीक द्वारा प्रयागराज में घने जंगलों का विकास
- 6 भारत का प्रथम जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर
- 7 डिजिटल वृक्ष आधार पहल
- 8 भारत की अक्षय ऊर्जा क्रांति
- 9 अपर-करनाली जलविद्युत परियोजना
- 10 इंदौर और उदयपुर आर्द्रभूमि शहर प्रमाणन की सूची में शामिल