यौन उत्पीड़न के लिए स्किन टू स्किन संपर्क आवश्यक नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर, 2021 को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि ‘यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण’(POCSO) अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए ‘स्किन टू स्किन’टच आवश्यक है।
- न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ भारत के महान्यायवादी, राष्ट्रीय महिला आयोग और महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर अपीलों पर यह फैसला सुनाया।
- अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए सम्बंधित मामले में अपराधी के अपराध की पुष्टि की और ....
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