ब्लैक कार्बन के दूरगामी प्रभाव : स्वच्छ एवं स्थायी भविष्य के लिए उत्सर्जन को लक्षित करना आवश्यक
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा हाल ही में ‘ब्लैक कार्बन’ (Black Carbon) से निपटने के लिये सरकार द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपायों पर जानकारी प्रदान की गई।
- ध्यातव्य है कि आर्थिक प्रगति की संभावनाओं के आधार पर वैज्ञानिकों ने आने वाले दशकों में ब्लैक कार्बन के उत्सर्जन में नाटकीय रूप से वृद्धि होने का अनुमान लगाया है।
- मार्च 2020 में वाडिया इंस्टीटड्ढूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) के वैज्ञानिकों द्वारा उत्तराखंड में गंगोत्री हिमनद के पास चिरबासा स्टेशन पर ‘ब्लैक कार्बन’ के प्रभावों के संबंध में एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया गया था।
- इस अध्ययन के अनुसार भविष्य में ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 क्वांटम प्रौद्योगिकी भारत की प्रगति, लाभ एवं चुनौतियां
- 2 भारत में ई-अपशिष्ट उत्पादन कारण, प्रभाव एवं चुनौतियां
- 3 इंडियाएआई मिशन नैतिक एवं जिम्मेदार एआई संबंधी चुनौतियां एवं भारतीय प्रयास
- 4 समुद्री दूरसंचार केबलों की प्रतिरोधक क्षमता आवश्यकता एवं चुनौतियां
- 5 भारत-श्रीलंका संबंध हिंद महासागर क्षेत्र में द्विपक्षीय राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा
- 6 जी20 शिखर सम्मेलन 2024 सहभागिता बढ़ाने हेतु समूह को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाने की आवश्यकता
- 7 बाल विवाह के खिलाफ संघर्ष समस्या के उन्मूलन हेतु शिक्षा एवं सामाजिक सशक्तीकरण आवश्यक
- 8 राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन कृषि के समग्र दृष्टिकोण एवं धारणीयता की ओर एक कदम
- 9 भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट मतभेद के मुद्दे एवं भविष्य की राह
- 10 भारत में भूख एवं कुपोषण की स्थिति चुनौतियों से निपटने हेतु तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप आवश्यक