शीत-रक्त प्रजातियों की जीवन प्रत्याशा
- हाल ही में क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट (Queen's University Belfast) और तेल अवीव विश्वविद्यालय (Tel Aviv University) द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण शीत-रक्त प्रजातियां (Cold Blooded Species) तेजी से विलुप्त हो रही हैं।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु
- दुनिया भर से 4,100 भूमि कशेरुक (Vertebrate) प्रजातियों के उपापचय क्रियाओं का विश्लेषण किया गया।
- अध्ययन में सरीसृप (Reptiles) और उभयचर (Amphibians) जैसी शीत-रक्त प्रजातियों की जीवन प्रत्याशा पर ग्लोबल वार्मिंग का बहुत विपरीत प्रभाव पाया गया।
- गर्म जलवायु ने वास्तव में ऐसी प्रजातियों के जीवनकाल को छोटा कर दिया है जिसके कारण ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 आपदा जोखिम चेतावनी प्रणाली : कवचम
- 2 मीठे पानी के एक चौथाई जानवर विलुप्त होने के खतरे में
- 3 इंडो-बर्मी पैंगोलिन
- 4 भारत स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण प्लेटफॉर्म
- 5 मियावाकी तकनीक द्वारा प्रयागराज में घने जंगलों का विकास
- 6 भारत का प्रथम जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर
- 7 डिजिटल वृक्ष आधार पहल
- 8 भारत की अक्षय ऊर्जा क्रांति
- 9 अपर-करनाली जलविद्युत परियोजना
- 10 इंदौर और उदयपुर आर्द्रभूमि शहर प्रमाणन की सूची में शामिल
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी
- 1 कावेरी डेल्टा संरक्षित कृषि क्षेत्र घोषित
- 2 भारत के पक्षियों की स्थिति रिपोर्ट 2020
- 3 अन्टार्कटिका में 20 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज
- 4 भूमि संरक्षण एवं प्रजातियों की विलुप्ति पर अध्ययन
- 5 आक्रामक विदेशी पौधा प्रजाति का प्रबंधन
- 6 डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा ग्लोबल फ्यूचर्स रिपोर्ट जारी
- 7 केरल सीएफएल पर प्रतिबंध लगाएगा
- 8 कीटनाशकों का पर्यावरण पर प्रभाव
- 9 राष्ट्रीय तटीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण और लचीलापन सम्मेलन-2020