Question : प्रश्न: साहिष्णुता एवं प्रेम की भावना न केवल अति प्राचीन समय से ही भारतीय समाज का एक रोचक अभिलक्षण रही है, बल्कि वर्तमान में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है? सविस्तार स्पष्ट कीजिये।
Answer : उत्तरः भारत प्राचीन काल से ही एक बहुलवादी समाज रहा है। भारतीय समाज में सभ्यता के आदिकाल से ही अनेक प्रकार भाषायी, धार्मिक एवं सामाजिक विभिन्नतायें विद्यमान रही हैं। अनेक विविधताओं के बावजूद भी भारत एक रहा है तथा अपने इस विविधता पूर्ण सामाजिक स्वरूप को प्राचीन काल से अब तक बनाये रखने में सफल भी रहा है। सहिष्णुता एवं आपसी प्रेम की भावना की ही इस विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने में प्रमुख भूमिका रही है।
Question : सातत्य एवं परिवर्तन भारतीय समाज की विशेषताएं हैं। भारतीय समाज में आधुनिकता और परंपरा के सिद्धांत पर बल देते हुए सातत्य और परिवर्तन के पहलुओं की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः भारत में वर्तमान में दिखाई देने वाली विविधता की जड़ें प्राचीनकाल से यहां के निवासियों द्वारा विभिन्न सभ्यताओं तथा संस्कृतियों से अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों में निहित हैं।
कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तनों की रूपरेखाएं निम्न प्रकार हैं:
Question : यह साधारणतया देखा गया है कि सम्प्रदायवाद के निर्माण में धर्म की नहीं बल्कि गैर-धार्मिक शक्तियों की अहम भूमिका होती है। चर्चा करें।
Answer : उत्तरः सम्प्रदायवाद एक बहुआयामी जटिल सामाजिक घटना है। सम्प्रदायवाद तथा साम्प्रदायिक हिंसा की उत्पत्ति के लिए सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक कारण उत्तरदायी होते हैं।
Question : सफाई को जनस्तर पर तभी स्वीकार्य किया जा सकता है जब सफाई को धार्मिकता के एक पवित्र रंग के साथ प्रचारित किया जाता है, यह भारतीय समाज की एक विडम्बना है। व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वच्छता का विशेष महत्व है। स्वच्छता अपनाने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है और एक स्वस्थ राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है। अतः हर व्यक्ति को जीवन में स्वच्छता अपनानी चाहिए और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। स्वच्छता का स्वास्थ्य से घनिष्ठ संबंध है। आरोग्य को नष्ट करने के जितने भी कारण हैं, उनमें गंदगी प्रमुख है। बीमारियां गंदगी में ही पलती हैं। जहां कूड़े-कचरे के ढेर जमा रहते हैं, मल-मूत्र सड़ता है, नालियों में कीचड़ भरा रहता है, सीलन और सड़न बनी रहती है, वहीं मक्खी, पिस्सू, खटमल जैसे बीमारियां उत्पन्न करने वाले कीड़े उत्पन्न होते हैं। उन्हें मारने की दवाएं छिड़कना तब तक बेकार है, जब तक गंदगी को हटाया न जाए।
भारत में स्वच्छता
धर्म एवं स्वच्छता
स्वच्छ भारत मिशन
शहरी क्षेत्रों के लिए स्वच्छ भारत मिशन
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्वच्छ भारत मिशन
Question : आरक्षण का लाभ अभी तक लोगों तक पहुंचना बाकी है। क्या आप सहमत हैं?
Answer : उत्तरः भारत में आरक्षण प्रारम्भ से ही विवाद का विषय रहा है। समाज की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियों में जातिवाद की पदसोपानिक व्यवस्था को देखते हुए भारतीय संविधान में SC, ST, OBC तथा महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। ताकि समाज का यह पिछड़ा वर्ग भी देश के विकास में अपना योगदान कर सके।
उपरोक्त विश्लेषण का आधार प्रदान करने के लिए हम निम्न तथ्यों पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं-
Question : भारतीय समाज में जनजातियों में आये परिवर्तनों और रूपंतारणों का विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरः भारत में होने वाले विकास तथा इससे संबंधित बदलावों के संपर्क में आने के कारण भारत की जनजातियों तथा जनजातीय समाजों में परिवर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इस प्रकार के परिवर्तनों का सर्वाधिक स्पष्ट प्रतिबिंब जनजातीय युवाओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं में दृष्टिगोचर होता है।
भारतीय जनजातीय समाज में आने वाले परिवर्तनों को अग्रलिखित पंक्तियों में स्पष्ट किया गया है-
Question : राज्य द्वारा सकारात्मक प्रयासों को पहचानों हेतु सामाजिक स्तरीकरण आवश्यक है। भारत में जाति-व्यवस्था के संदर्भ में इस कथन की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः जाति पर आधारित स्तरीकरण को सामाजिक स्थिति को समझने का ही एक तत्व माना जाता है। जब स्थिति पूर्णतः पूर्व निर्धारित हो जाती है, जिससे व्यक्ति जहां जन्म लेता है उससे उसकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन लाना सर्वथा असंभव हो तो ऐसी स्थिति में वर्ग जाति का रूप ले लेता है।
Question : आधुनिकता और परंपरा का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उभरते हुए भारतीय समाज की विशेषताओं को स्पष्ट करें।
Answer : उत्तरः परंपरा उन रीति रिवाजों, मान्यताओं तथा सांस्कृतिक क्रियाकलापों को इंगित करती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं तथा इनका उदय भूतकाल में कभी हुआ था। दूसरी तरफ, आधुनिकता समकालीन व्यवहारों तथा कार्य प्रणाली को इंगित करती है। यह सामान्यतया नवीनता की द्योतक होती है। भारत के परंपरा एवं आधुनिकता दोनों साथ-साथ देखे जा सकते हैं। भारतीय संस्कृति पारंपरिक मूल्यों तथा आधुनिक दृष्टि का सम्मिश्रण है।
Question : ‘कोई महिला के रूप में जन्म नहीं लेता, बल्कि बन जाता है। टिपण्णी करें।
Answer : उत्तरः प्रसिद्ध दार्शनिक सिमोन द बोउवा का प्रसिद्ध कथन ‘‘कोई जन्म से औरत नहीं होता लेकिन बन जाता है’’ उनकी इस मान्यता को दर्शाता है कि स्त्रीत्व की उत्पत्ति जैविक मनोवैज्ञानिक अथवा बौद्धिक भिन्नताओं के कारण नहीं होती अपितु यह सभ्यता और समाज की कृति है, यह न केवल पुरुष एवं स्त्री की मूलभूत भिन्नताओं अपितु उनकी परिस्थितियों की भिन्नताओं का प्रतिबिंब है और परिस्थितियां चरित्र को गढ़ती हैं।
Question : समकालीन साहित्य में प्रयत्न यह है कि प्राकृतिक रहा जाए, भारतीय रहा जाए, सामान्य जन के नजदीक रहा जाए, सामाजिक रूप से जागरूक रहा जाए। उदाहरण के साथ व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः जयमोहन (तमिल), देबेस रे (बंगाली) और शिव प्रसाद सिंह (हिंदी) द्वारा समकालीन भारतीय उपन्यास, जो विभिन्न उपेक्षित क्षेत्रों और वहां बोली जाने वाली भाषाओं/बोलियों से संबंधित हैं, के अन्तर्गत, नए अनुभव को उभारने व पुराने मूल्यों को बनाये रखने के लिए संघर्ष तथा इस प्रक्रिया में कभी-कभी उन्हें त्यागते हुए समग्र भारत की एक समग्र तस्वीर, साफतौर पर देखी जा सकती है।
Question : “एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र, समाज के कुछ अलाभान्वित समुदाय को निश्चित रक्षोपाय प्रदान करने हेतु अपरिहार्य है।” शिकायतों के निवारण में संलग्न राष्ट्रीय महिला आयोग की कमियों का तथा इसे और अधिक नागरिक केंद्रित बनाने हेतु आवश्यक कदमों का विश्लेषण कीजिये।
Answer : उत्तरः महिलाओं से संबंधित शिकायतों को संबोधित करने के मामले में कई बार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग, आदि जैसे समान एजेंसियों के बीच बड़े पैमाने पर अतिव्यापन देखा जा सकता है।
Question : “भारत में गरीबी एक सामाजिक उत्पाद है न कि एक प्राकृतिक परिघटना, जो कि सामाजिक रूप से उत्पन्न, सुदृढ़ तथा स्थिर रखी गयी है। यह चरम सामाजिक-आर्थिक असमानता का परिणाम है। गरीबी की जड़ समाज के आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक ताने-बाने में स्थित होती है।” इस कथन को पुष्ट करें
Answer : उत्तरः
Question : हाथ से मैला ढोने को आधुनिक और सभ्य भारत हेतु एक अभिशाप के रूप में चिन्हित किया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में सरकार द्वारा हाथ से मैला ढोने को समाप्त करने के लिए की गई हालिया पहलों की चर्चा करें
Answer : उत्तरः भारत में मैला ढोने की अमानवीय प्रथा आज के आधुनिक युग में जारी है, जो कि उक्त कार्य में सलंग्न लोगों की दुर्दशा के कारण एक बार फिर चर्चा में है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारता विभाग संविधान के अनुरूप ऐसा समावेशी समाज बनाना चाहता है, जहाँ आजादी के सबसे वंचित एवं पिछड़े वर्ग गरिमापूर्ण और गौरव भरा जीवन जी सके, एवं राष्ट्र की मानव पूंजी में सक्रिय सहयोग कर सके।
Question : आधुनिक जीवनशैली के रूप में लिव-इन-रिलेशनशिप के औचित्य पर प्रकाश डालिए। क्या यह भारतीय संस्कृति के समक्ष संकट का सूचक है? चर्चा करें।
Answer : उत्तरः जब एक लड़का एवं लड़की अथवा कुछ लड़के एवं लड़कियां एक साथ रहने के साथ-साथ अपनी यौन संबंधी आवश्यकता भी एक-दूसरे से पूरा करते हैं तो उसे लिव-इन-रिलेशनशिप की संज्ञा दी जाती है। निम्न बिंदुओं के माध्यम से भारतीय संदर्भ में इसके औचित्य को समझा जा सकता है-
भारत में इसके प्रचलन में वृद्धि के कारण
परंतु भारतीय संदर्भ में इसने कई प्रकार के समस्याओं को उत्पन्न किया है। जैसे-
इस प्रकार, इसके प्रभाव में भारतीय सामाजिक संस्थाओं की दरकती दीवार के संदर्भ में भारतीय संस्कृति के समक्ष संकट माना जा सकता है, परंतु इसके प्रभाव को निम्न प्रकार से कम किया जा सकता है-
Question : सामाजिक नियमों के मामले में अर्थशास्त्र ने धर्मशास्त्र की एक वैकल्पिक दृष्टि दी?
Answer : उत्तरः धर्मशास्त्रों अथवा धर्मसूत्रों के माध्यम से ही सामान्यतः सामाजिक नियमों का मानकीकरण किया जाता है और ऐसा ईसा की पूर्व शताब्दियों में भी प्रचलित था किंतु मौर्य काल में चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र ने कुछ मामलों में अपना मत इससे हट कर प्रस्तुत किया किंतु यह वैकल्पिक मत उस समय की सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक जरूरतों के अनुरूप था।
Question : हाल ही में जारी की गई राष्ट्रीय महिला नीति महिला सशक्तीकरण को सुनिश्चित तो करती है, किंतु इसमें अभी भी कई कमजोरियों विद्यमान हैं। चर्चा करें?
Answer : उत्तरः बदलते राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में महिलाओं के सशक्तीकरण का मुद्दा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है। यद्यपि देश में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कई कानून बनाए गए हैं तथा सरकारी नीतियों के लाभान्वितों के तौर पर महिला सदस्यों को प्रमुखता प्रदान की जा रही है किन्तु इसका समुचित लाभ सामने नहीं आ पाया है।
राष्ट्रीय नीति के मसौदे में महिला सशक्तीकरण के प्रयास
मसौदे की प्रमुख कमजोरियां
निष्कर्ष